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Wednesday, December 3, 2014

बेईमान

               
  
               













                 बेईमान

भ्रष्टाचार से लड़ने चले वो , खुद ही भ्रष्ट हो गए,
पहले वे भी आम जन थे, अब वो शासक हो गए। 

उनके रग-रग में बसी है, बला की हैवानियत
भीड़ के आगे जब भी आए, वो सफेदपोश हो गए। 

विश्वास करके अपनी अस्मत, जिसने उनको सौप दी,
उन सभी के  सम्मान अब सरेआम, तार-तार हो गए। 

खैरात में जो मिली थी, ग़रीबों में बांटने के वास्ते,
उसी खैरात को हड़प कर, वो मालामाल हो गए। 

जाति-धर्म के नाम पर, जो बाँटते है आवाम को,
ग़रीबों पर शासन करे और अमीरों के मित्र हो गए। 

दोनों की तक़रीर सुन कर, हिन्दू-मुस्लिम लड़ मरे,
दोनों गले अब मिल रहें हैं, वे रिश्तेदार हो गए। 

सबकी ज़मीर मर गई, सब कर रहे बकवास है,
जिसको जब मौका मिला, वो बेईमान हो गए। 

क्यों ढूँढते हो “राही”, देशभक्तों को इस दौर में,
मातृभूमि पर मर मिटने वाले सभी, स्वर्गवासी हो गए। 
- © राकेश कुमार श्रीवास्तव  "राही "

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