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Wednesday, April 16, 2014

जीने की राह

 
इन्टरनेट से साभार 
   

















   
    जीने की राह 


गया बसंत, अब पसीना बहाया जाए,

दो वक्त की रोटी, अब कमाया जाए। 


रहने को घर नहीं, कहीं बसेरा बनाया जाए,

घने पेड़ की छाँव के नीचे, चैन से सोया जाए। 


नाउम्मीद हूँ मैं, अब कोई आस जगाया जाए,

उम्मीद के तारों से, अपना सपना सजाया जाए। 


मुफ़लिसी है, कोई जुगत लगाई जाए,

मेहनत से, अपनी किस्मत चमकाई जाए। 


सोचा बहुत अपने बारे में, अब कुछ ऐसा किया जाए,

दूसरों के लिए भी, अपना पसीना बहाया जाए। 


जी लिए बहुत, अब दुनिया को अलविदा कहा जाए,

रहे हमसफ़र जिंदगी में, उनका शुक्रिया अदा किया जाए। 



-© राकेश कुमार श्रीवास्तव 





Wednesday, April 2, 2014

फ़रियाद

       
इंटरनेट से साभार 




         








      


         फ़रियाद


चाँद-तारों को जमीं पर ला दूँ, तो क्या होगा ,

तेरी जुल्फों में सितारें सजा दूँ, तो क्या होगा ,


तुम मेरी धडकनों में बसती हो,


तुम मुझसे जुदा हो गई, तो मेरा क्या होगा  .



तेरे मयखाने में बैठकर, जाम पीने से क्या होगा ,


तेरे नशे में दिन-रात, झूमने  से क्या होगा ,


तू मेरे सामने बैठी है , चिलमन में,


तो मेरी आँखों में आसूं नहीं तो, और क्या होगा.



वो तुझे चाहता ही नहीं, तेरे चाहने से क्या होगा,


मैं तुझे चाहता हूँ, मेरे चाहने से क्या होगा ,


एक बार अपने चाहने की कसौटी पर आजमा ले मुझे ,


बेवजह मुझको ठुकराने से, तेरा क्या होगा.



तू  न मिली मुझे, तो मेरे प्यार का अंजाम क्या होगा ,


मैं तुझे तुम से ही मांग लूँ, तो तेरा क्या होगा ,


सुना है तेरे दर से कोई खाली हाथ नहीं जाता,


गर मुझको कुछ न मिला तो तेरा क्या होगा.



तेरे नाम की माला दिन-रात जपा करता हूँ,


लाख कमियां है मुझ में, ये इकरार  तुमसे  करता हूँ ,


तेरी  सोहबत  में सुधर जाऊँगा , 


तू मुझे अपना सा बना दे ये फ़रियाद तुझ से करता हूँ.



-© राकेश कुमार श्रीवास्तव