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Wednesday, May 21, 2014

राम-धुन

इंटरनेट से साभार 






   

           
  

              राम-धुन

आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए। 
विषय-वासना के जंजाल से 
ये मन पार पा जाए। 
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए। 

मोह-माया और अज्ञान से
निजात मिल जाए। 
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए।

भटका हुआ राही हूँ मैं 
ज्ञान का मार्ग मिल जाए। 
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए।

भव सागर में फँसी नैया 
अब पार लग जाए। 
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए। 

मेरे दिल में तुम आकर बसो,
कि तेरी याद न जाए। 
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए। 

ऐसा प्यार दिया तुमने मुझको,
कि सब में करतार नज़र आए। 
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए। 

प्रभु सब का ह्रदय निर्मल कर दो,
सब राम,कृष्ण,करतार हो जायें। 
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए। 

आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए। 
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए। 

© राकेश कुमार श्रीवास्तव 







Wednesday, May 7, 2014

इबादत

इंटरनेट से साभार 
     








    इबादत

तेरे दर पे आया हूँ,

इबादत करने आया हूँ,

पर तेरी ही शिकायत,

तुम से करने आया हूँ। 


तूने सब कुछ मुझको दिया है,

तेरे आसरे तेरा भक्त जिया है,

मुझसे क्या भूल हुई भगवन,

कि मेरे चिराग़ का हाल ये हुआ है। 


मुझसे क्यों तू रूठा हुआ है,

तेरी रहमत अबतक क्यों नहीं मिली है,

ग़र मुझसे भूल हुई है भगवन,

तो इस मासूम को क्यों सज़ा दिया है। 


हर भक्त का इम्तिहां तुम लेते हो,

पर तुम्हीं उसकी लाज रखते हो,

सब्र का बांध टूट रहा है भगवन,

क्यों नहीं मेरा मान रखते हो। 


अश्रु-धारा अब रूकती नहीं है.

मेरी शिकायत दूर, नहीं हुई है,

किस बात की देरी है भगवन ,

मेरी सांसे अब रुकी हुई हैं। 


तूने फिर चमत्कार किया है,

भक्त की शिकायत दूर किया है,

कैसे तेरा शुक्रिया अदा करूँ मैं भगवन,

मेरा चिराग फिर उठ खड़ा हुआ है। 


तेरे दर से न कोई खाली जाता,

तेरी कृपा सब पर है बरसती ,

हमसब हैं तंगदिल वाले भगवन,

इसलिए तेरी रहमत सबको नहीं मिलती। 


-© राकेश कुमार श्रीवास्तव