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Thursday, May 30, 2013

कैक्टस का फूल


 कैक्टस का फूल 
काँटों के बीच खिला है फूल,
जीवन का है यही उसूल, 
दुःख के बाद सुख आएगा ,
यह सिखलाता कैक्टस का फूल।

फूलों का जीवन छोटा है,

काहे को ये मन रोता है,
किया कर्म जो सच्चे मन से, 
काँटों में भी, फूल खिलता है।

खुशियों का जीवन चंद दिनों का,  

मीठा फल है तेरे सब्र का, 
ऊर्जा असीम ये जीवन को देगा, 
कर्म जरिया है खुशियाँ पाने का। 

खुशियाँ, सपनों में पलती है
इक दिन सबको ही मिलती है,
सच्चे मन से जब  कर्म करो तो 
जीवन में खुशियाँ मिलती है।

कैक्टस का जीवन एक तप  है,
आवश्यकताएँ इसकी, बहुत ही कम है,
फूल खिले तो सिर पर रखता है,
सभी मौसम में सम रहता  है।
-राकेश कुमार श्रीवास्तव    




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