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प्रार्थी
राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
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मित्र मंडली - 114
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मित्र मंडली -110
इस सप्ताह के छह रचनाकार
अभिलाषा चौहान जी
नापाक को पाक करो
अनमोल जीवन के प्रति लापरवाही, पछताने का मौक़ा भी नहीं देगी
सतीश सक्सेना जी
लम्बी खींचने वालों की छोड़ ‘उलूक’ तुझे अपने कुर्ते को खुद ही खींच कर खुद का खुद ही ढकना है
सुशील कुमार जोशी जी
तुम आओ न..
शशि गुप्ता जी
वतन के नाम
पंकज भूषण पाठक जी
श्वेता सिन्हा जी
जीवन काल चक्र का उद्देश्य क्या? इसका उत्तर पाना मानव सभ्यता के विकास के साथ और जटिल होता जा रहा है, परन्तु शान्तिपूर्ण जीवन जीने के लिए प्रयास के अलावा मानव के पास और कोई रास्ता भी नहीं। आत्ममंथन को मजबूर करती सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति।
एक सवाल ???
कामिनी सिन्हा जी
हमारी मातृभूमि
अनुराधा चौहान जी
कल,आज और कल
अभिलाषा चौहान जी
लिखूँ अगर समझ पाओ तो
सुप्रिया पाण्डेय जी
निरंकुश मीडिया बर्बाद कर देगा इस शानदार देश को,समाज को
सतीश सक्सेना जी
प्रार्थना
मीना शर्मा जी
ख़ामोशी तलाशती है शब्द
अनीता सैनी जी
पहचान
अनुराधा चौहान जी
श्वेता सिन्हा जी
प्रकृति एवं स्त्री के गुण समान और इसी की गुणगान करती सुन्दर रचना।
# कब तक भला किसके लिए #
राजीव सिंह जी
अंत में ....
मेरी प्रस्तुति :
मेरी प्रस्तुति :
नारी - हिम्मत कर हुंकार तू भर ले
मित्र मंडली - 113
इस सप्ताह के पाँच रचनाकार
हजार के ऊपर चार सौ और हो गयी बकवासें ‘उलूक’ के पागलखाने की
सुशील कुमार जोशी जी
यादों के हवाले
लोकेश नशीने जी
मरुधर में बोने सपने हैं
कैलाश शर्मा जी
जीवन संघर्ष को आत्मसात करती भावपूर्ण रचना।
जीवन संघर्ष को आत्मसात करती भावपूर्ण रचना।
तानसेन
मित्र मंडली - 114
इस सप्ताह के छह रचनाकार
अभिलाषा चौहान जी
सुन उद्धव अभिमानी
आँचल पाण्डेय जी
कविता सिर्फ शब्द नही होती
कुसुम कोठारी जी
बाल कविता " रंग बिरंगे फूल "
राधा तिवारी जी
अथ होली ढूंढ़ा कथा
कविता रावत जी
भूले-बिसरे पौराणिक कथा को पुनर्जीवित करती रोचक प्रस्तुति।
सुशील कुमार जोशी जी
होली के बाद भी पीने पिलाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जनता जश्न मना रही है और उलूक अपना आसूँ ख़ामख़ाह बहा रहा। सुन्दर व्यंग रचना।
मित्र मंडली - 115
इस सप्ताह के छह रचनाकार
होली के बाद भी पीने पिलाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जनता जश्न मना रही है और उलूक अपना आसूँ ख़ामख़ाह बहा रहा। सुन्दर व्यंग रचना।
मित्र मंडली - 115
मित्र मंडली - 115
इस सप्ताह के छह रचनाकार
‘उलूक’ हर दिन अपने आईने में देखता है चेहरे पर लिखा अप्रैल फूल होता है
सुशील कुमार जोशी जी
तू गा रे ! साँझ सकारे !!!
मीना शर्मा जी
श्वेता सिन्हा जी
परुष-प्रधान समाज में पुरुष-स्त्री चरित्र पर दोयम राय रखने पर स्त्री के मनःस्थिति को उजागर करती सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति।
"उसूल"
मीना भारद्वाज जी
शब्द शक्ति
आँचल पाण्डेय जी
हिंदी की हत्या के विरुद्ध!
विश्व मोहन जी
बन रे मन तू चंदन वन
कुसुम कोठारी जी
बिगुल बज उठा
अनुराधा चौहान जी
आकुल रश्मियाँ
श्वेता सिन्हा जी
अँधेरे में रौशनी फैलाती और नारी की जज्बातों को व्यक्त करती भावपूर्ण रचना।
मौसम है सुहाना दिल का
लोकेश नशीने जी
चुप्पी
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी
स्वांग
शशि गुप्ता जी
जीवन ही स्वांग है, हम जो हैं, उसे कहाँ व्यक्त कर पाते हैं। संवेदना विहीन समाज से आहत मन की दस्तावेज है यह रचना।
मित्र मंडली - 117
इस सप्ताह के छह रचनाकार
जीवन ही स्वांग है, हम जो हैं, उसे कहाँ व्यक्त कर पाते हैं। संवेदना विहीन समाज से आहत मन की दस्तावेज है यह रचना।
मित्र मंडली - 117
मित्र मंडली - 117
इस सप्ताह के छह रचनाकार
एक कहानी अनजानी !
मीना शर्मा जी
"उस पार"
मीना भारद्वाज जी
मछुआरों की तंगहाली और मजबूरियों को आत्मसात करती भावपूर्ण रचना।
श्वेता सिन्हा जी
प्यार के सुखद पल एवं स्त्री के कोमल भावनाओं को व्यक्त करती सुंदर भावपूर्ण रचना।
बेटी----माटी सी
काठमांडू, पशुपति-निवास हूँ!
विश्व मोहन जी
कहीं हम न हैं
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी
अहंकार की आग में जलता प्रेम और एक छत के नीचे सिसकती दो ज़िन्दगी की मर्म को व्यक्त करती दर्द भरी भावाभिव्यक्ति।"
मित्र मंडली - 118
इस सप्ताह के पांच रचनाकार
अहंकार की आग में जलता प्रेम और एक छत के नीचे सिसकती दो ज़िन्दगी की मर्म को व्यक्त करती दर्द भरी भावाभिव्यक्ति।"
मित्र मंडली - 118
मित्र मंडली - 118
इस सप्ताह के पांच रचनाकार
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